मंगलवार, 27 अगस्त 2013

हिन्दी सेवी सम्मान- 2013

                                       
 वर्ष 2013 का ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ विख्यात भागवत् वक्ता एवं हिन्दी सेवी पंडित श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री ‘ठाकुरजी’ को प्रदान किया गया

 
श्रीकृष्णचंद ‘ठाकुरजी’ को सम्मान भेंट करते हुए श्री शेखर बजाज
   ‘शब्दम्’ द्वारा हिन्दी और उसकी संस्कृति के लिए विशिष्ट एवं मूल्यवान कार्य करने वाले एक व्यक्ति को हर वर्ष ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ प्रदान किया जाता है। देश के विशिष्ट नागरिक अपने मूल कार्य के साथ हिन्दी को बढ़ाने में रुचि और समर्पण दिखाएं, इस सम्मान के पीछे शब्दम् का यही उद्देश्य है।
शब्दम् हिन्दी सेवी सम्मान का प्रमाणपत्र
   21 जुलाई को गुरूपूर्णिमा के अवसर पर इस वर्ष का ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ विख्यात भागवत् वक्ता एवं हिन्दी सेवी पंडित श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री ‘ठाकुरजी’ को प्रदान किया गया। वृन्दावन में भागवत् कथा के आयोजन में बजाज इलैक्ट्रीकल्स के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एवं शब्दम् के वरिष्ठ सदस्य श्री शेखर बजाज ने सम्मान पत्र के साथ अभिनंदन पत्र, अंगवस्त्र, श्रीफल एवं गुप्त सम्मान राशिश्री ठाकुरजी महाराज को भेंट की।
  पंडित श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री ‘ठाकुर जी’ के बारे में भागवत मर्मज्ञ सरस्वती के वरदपुत्र श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री ‘ठाकुरजी’ रामचरित मानस की कथा भी सुनाते हैं। ऐसे में आपके हृदय में रामायणी गंगा और भागवती यमुना का संगम कहा जा सकता है। आपकी ज्ञानमयी वाणी को सुनने के लिए अहिन्दी क्षेत्रों के लोग भी हिन्दी को समझने के लिए लालायित हो उठते हैं।
   पिछले 38 वर्षों के दौरान आपने पंद्रह वर्ष की अवस्था से ही निरंतर विभिन्न प्रांतों एवं देश-विदेश में भागवत कथा, रामचरित मानस कथा एवं गीता प्रवचन के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रसार किया है। आपकी लोकप्रियता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच कर हिन्दी भाषा को गौरव प्रदान कर रही है।
   श्रीमती किरण बजाज द्वारा भेजे गए संदेश में श्रीमती बजाज ने ठाकुरजी की हिन्दी सेवा पर प्रकाश डालते हुए ‘शब्दम्’ का परिचय प्रस्तुत किया और लोगों से हिन्दी को अपनाने एवं उसका प्रचार-प्रसार करने का निवेदन किया।

सम्मान समारोह में उपस्थित श्रोतागण
                                           


                                                                     पूर्व में दिए गए सम्मान

  ‘शब्दम्’ द्वारा पिछले कुछ वर्षों में जो लोग सम्मानित किए गए उनमें मुख्य हैं- मुक्तक रचयिता श्री लाखन सिंह भदौरिया,भूतपूर्व सांसद एवं कवि श्री उदयप्रताप सिंह,  साहित्यकार एवं गजलकार श्री नंदलाल पाठक, हिन्दी सेवी पद्मभूषण न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी, मराठी भाषी हिन्दी साहित्यकार डा० चंद्रकांत वांदिवडेकर,हिन्दी आलोचना के शिखर पुरूष प्रो. नामवर सिंह एवं श्री वेदप्रताप वैदिक।

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

स्थाई कार्यक्रम : सिलाई केंद्र

                                                                                                 सिलाई केंद्र


 हिन्द परिसर स्थित सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करती बालिकाएं

        बालिकाओं में रोजगारपरक कौशल को विकसित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर शब्दम् सिलाई केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। एक केंद्र हिन्द परिसर में स्थाई रूप से संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा निश्चित समयावधि के लिए गांवों में संचालित किया जाता है। केंद्र में निपुण प्रशिक्षिकाओं की व्यवस्था के द्वारा बालिकाओं को घरेलू आवश्यकता के अनुरूप कुशल बनाने और रोजगारपरक ढंग से सुशिक्षित बनाने का उद््देश्य समाहित है।
     इस सत्र में हिन्द परिसर में स्थित केंद्र में दो दर्जन बालिकाओं ने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जबकि गांव गैलरई में संचालित केंद्र में करीब डेढ़ दर्जन बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। बालिकाओं से न्यूनतम शुल्क भी लिया जाता है। पिछले करीब आठ वर्ष में इन सिलाई केंद्रों के माध्यम से आठ सौ बालिकाओं को रोजगारपरक ढंग से निपुण बनाया जा चुका है। वर्तमान सत्र में दोनों केंद्रों में कुल करीब 40 बालिकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।


गतिविधियां : बुद्ध जयंती

                                                                                                      बुद्ध जयंती

        भगवान बुद्ध की जयंती 25 मई, 2013 को शिकोहाबाद में बच्चों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। आयोजन में वक्ताओं ने बताया कि महात्मा बुद्ध ने प्रार्थना, ध्यान और करुणा जैसे मूल्यों को जीवन में विशेष महत्व देने का संदेश दिया और लोगों को व्यवहारिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जीवन के कल्याण के लिए आष्टांग मार्ग खोजा। व्यवहारिक जीवन में उनके बताए मध्यमार्ग का अनुकरण विश्व के अनेक देश कर रहे हैं। संगोष्ठी में बच्चों ने उनके जीवन से प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए। श्रीमती रेखा शर्मा ने भगवान बुद्ध के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। बच्चों ने पुष्प अर्पित कर भगवान को नमन किया।

बुद्ध जयंती पर बच्चों एवं युवाओं के मध्य परिचर्चा करते ‘शब्दम्’ पदाधिकारी
      प्रेरक प्रसंगः एक बार पुत्र शोक से पीडित महिला अत्यंत व्यथित दशा में महात्मा बुद्ध के पास पहुंची। उसने अपनी पीडा के निवारण के लिए प्रार्थना की। महात्मा ने महिला से कहा कि एक ऐसे घर से कुछ भिक्षा लेकर आओ जिसमंे कभी किसी की मृत्यु न हुई हो। तभी मैं तुम्हारी पीडा का शमन करूंगा। महिला यह बात मान कर भिक्षा मांगने चली गई और पूरे दिन दर-दर घूमी। लेकिन उसे एक भी ऐसा घर नहीं मिला, जिसमें कभी किसी की मृत्यु न हुई हो। शाम को वह रीता वर्तन लेकर वापस पहुंची तो बुद्ध ने उसे समझाया कि मृत्यु तो शाश्वत है। हर किसी को एक न एक दिन अपने प्रियजन को खोना पडता है। महिला उनके उपदेश का अनुभव कर चुकी थी। अतः उनकी बात सुन कर उसका पुत्र मोह का सारा दुख जाता रहा।




स्थाई कार्यक्रम : शब्दम् बालिका पाठशाला

                                                                      शब्दम् बालिका पाठशाला


पाठशाला में बालिकाओं एवं महिलाओं को शिक्षण प्रदान करते हुए शिक्षिका


       शब्दम् की ‘बालिका पाठशाला’ योजना गत वर्ष से संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य स्कूल नहीं जा सकी अथवा स्कूल छोड़ कर घर बैठ गई बालिकाओं एवं महिलाओं को सामान्य हिंदी पढ़ना व लिखना सिखाना और घरेलू या अपने कामकाज का हिसाब लगाने के लिए जरूरी गणित सिखाना है।  पाठशाला में छह माह की अवधि का एक सत्र होता है। जिसे आवश्यकता के अनुरूप किसी उपयुक्त स्थान शुरू किया जा सकता है।
इस बार का सत्र शिकोहाबाद के एक नितांत दलित आबादी वाले गांव नगला भीमसेन मंे प्रारंभ किया गया है। आरंभ होने से पहले गांव का सर्वे कर आवेदन मांगे गए। गांव की 14 बालिकाओं और महिलाओं ने पाठशाला में प्रवेश पाने के लिए आवेदन किया। ये वे महिलाएं या बालिकाएं थीं जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा था या कुछ समय स्कूल जाने के बाद वे निरंतर नहीं हो सकी थीं। यह गांव लगभग दो शताब्दी पुराना बताया जाता है लेकिन इसके विकास की आज तक किसी ने सुधि नहीं ली है। ऐसे में शब्दम् पाठशाला के प्रयास का गांव वालों ने उत्साह से स्वागत किया। कुछ ही दिन में यहां विद्यार्थिनों की संख्या 21 हो गई।
    इस पाठशाला का आरंभ सुबह की प्रार्थना के साथ होता है और इसके लिए 6 माह का विशेष पाठ्यक्रम शब्दम् के लोगों द्वारा ही बनाया गया है। जिसमें हिन्दी का अक्षर, शब्द और स्वर-व्यंजन का ज्ञान, लिखने-पढ़ने का अभ्यास आदि शामिल हैं। गणित में अंक ज्ञान, उनकी पहचान, लिखने और पढ़ने का अभ्यास, सौ तक गिनती, दस तक पहाड़े। जोड़, गुणा, घटना और भाग सिखाया जाता है।
     इसके अलावा ज्ञानवर्द्धक, नैतिक एवं रुचिकर कहानियों के माध्यम से नैतिक ज्ञान, स्वास्थ्य और स्वच्छता की शिक्षा भी दी है।
     शिक्षण के लिए एक स्नातक महिला को नियुक्त किया गया है। शब्दम् के पदाधिकारी समय-समय पर अवलोकन और दिशा निर्देशन देते हैं। कमजोर बालिकाओं के लिए अतिरिक्त कक्षा भी ग्रामवासियों ने इसके लिए एक निशुल्क भवन प्रदान किया है। सफाई और भवन के रखाव आदि व्यवस्थाओं मंे ग्रामवासी पूरे उत्साह से सहयोग करते हैं।
    शब्दम् पाठशाला का यह छोटा सा प्रयास, घोर तिमिर में एक दीप जलाने जैसा है। हमारे गांवों से अशिक्षा के अंधकार को हटाने के लिए सरकारी और गैरसरकारी निगमों और संगठनों को आगे आना चाहिए। सभी को मिल कर इस स्थिति के विरूद्ध कमर कस कर कार्य करना होगा, तभी सच्चे मायने में समाज और देश की सेवा को चरितार्थ किया जा सकेगा।


                                                                 छठवां ग्रामीण कवि सम्मेलन


कवि सम्मेलन में काव्यपाठ करते हुए कवयित्री श्रीमती नीलम

     हमेशा की तरह गांव मंे होने वाला ‘शब्दम’ ग्रामीण कवि सम्मेलन जसराना तहसील के बनवारा गांव में 22 जून 2013 को संपन्न हुआ। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में दूरदेहात के लोगों ने साहित्य और काव्य के संस्कार को नजदीक से जाना और विभिन्न रस की कविताओं का सुबह से शाम तक आनंद लिया।

     आयोजन की गहमागहमी सुबह से ही रही। उम्मीद के विपरीत मौसम ने साथ दिया। गांव वालों ने जोश के साथ सहभागिता की। वे हिन्दी की कविता को सुनने एवं उनको रचने वालों का दर्शन करने को आतुर दिखाई दिए।
 काव्यपाठ करते हुए कवि श्री शिवसागर शर्मा
   इस आयोजन हेतु ‘शब्दम्’ ने ग्रामीण परिवेश की रचनाओं के लिए उपयुक्त कवियों को आमंत्रित किया। ओज कवि श्री रामनरेश रमन (झांसी), गीतकार श्री शिवसागर शर्मा (आगरा), श्री बलराम श्रीवास्तव (किशनी) एवं श्रीमती नीलम नीरजा (ग्वालियर) के अलावा हास्य-व्यंग्य के कवि श्री गोविंद पटवारी (धौलपुर) को आमंत्रित किया था। कवियों ने अपने-अपने रस और विधा की रचनाएं प्रस्तुत कर ग्रामीण श्रोताओं का मन मोहित किया। युवाओं के मन में ओजस्वी कविताओं ने देश प्रेम की ज्वाला फूंकी। गीतों ने संस्कृति, प्रकृति और श्रंगार आदि विषयों पर श्रोताओं को सिक्त किया। वहीं हास्य की रचनाओं ने भी लोगों को खूब गुदगुदाया। 

 कवि सम्मेलन में कविताओं का रसास्वादन करते हुए महिलाएं एवं पुरुष श्रोता
शब्दम् अध्यक्षा श्रीमती किरण बजाज ने मुंबई से फोन के द्वारा ग्रामीणों को संबोधित किया। उन्होंने ग्रामवासियों का आह्वान किया कि अब देश की किस्मत गांव के हाथ में है। संस्कृति और प्रकृति की सभ्यता गांव से ही शुरू हुई है इसलिए गांव को जागरूक होकर हिन्दी भाषा और संस्कृति को बचाना होगा। शब्दम उपाध्यक्ष श्री नंदलाल पाठक द्वारा भेजी गई काव्य पंक्तियों का वाचन किया गया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह ने भी श्रोताओं को फोन से संबोधित किया। उन्होंने गांव वालों के उत्साह की प्रशंसा की और अपनी कुछ रचनाएं भी सुनाईं।

 मुख्य अतिथि के रूप में डा० ओ.पी. सिंह ने आभार प्रकट करते हुए आयोजन को सफलतम बताया।