मंगलवार, 13 अगस्त 2013

स्थाई कार्यक्रम : शब्दम् बालिका पाठशाला

                                                                      शब्दम् बालिका पाठशाला


पाठशाला में बालिकाओं एवं महिलाओं को शिक्षण प्रदान करते हुए शिक्षिका


       शब्दम् की ‘बालिका पाठशाला’ योजना गत वर्ष से संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य स्कूल नहीं जा सकी अथवा स्कूल छोड़ कर घर बैठ गई बालिकाओं एवं महिलाओं को सामान्य हिंदी पढ़ना व लिखना सिखाना और घरेलू या अपने कामकाज का हिसाब लगाने के लिए जरूरी गणित सिखाना है।  पाठशाला में छह माह की अवधि का एक सत्र होता है। जिसे आवश्यकता के अनुरूप किसी उपयुक्त स्थान शुरू किया जा सकता है।
इस बार का सत्र शिकोहाबाद के एक नितांत दलित आबादी वाले गांव नगला भीमसेन मंे प्रारंभ किया गया है। आरंभ होने से पहले गांव का सर्वे कर आवेदन मांगे गए। गांव की 14 बालिकाओं और महिलाओं ने पाठशाला में प्रवेश पाने के लिए आवेदन किया। ये वे महिलाएं या बालिकाएं थीं जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा था या कुछ समय स्कूल जाने के बाद वे निरंतर नहीं हो सकी थीं। यह गांव लगभग दो शताब्दी पुराना बताया जाता है लेकिन इसके विकास की आज तक किसी ने सुधि नहीं ली है। ऐसे में शब्दम् पाठशाला के प्रयास का गांव वालों ने उत्साह से स्वागत किया। कुछ ही दिन में यहां विद्यार्थिनों की संख्या 21 हो गई।
    इस पाठशाला का आरंभ सुबह की प्रार्थना के साथ होता है और इसके लिए 6 माह का विशेष पाठ्यक्रम शब्दम् के लोगों द्वारा ही बनाया गया है। जिसमें हिन्दी का अक्षर, शब्द और स्वर-व्यंजन का ज्ञान, लिखने-पढ़ने का अभ्यास आदि शामिल हैं। गणित में अंक ज्ञान, उनकी पहचान, लिखने और पढ़ने का अभ्यास, सौ तक गिनती, दस तक पहाड़े। जोड़, गुणा, घटना और भाग सिखाया जाता है।
     इसके अलावा ज्ञानवर्द्धक, नैतिक एवं रुचिकर कहानियों के माध्यम से नैतिक ज्ञान, स्वास्थ्य और स्वच्छता की शिक्षा भी दी है।
     शिक्षण के लिए एक स्नातक महिला को नियुक्त किया गया है। शब्दम् के पदाधिकारी समय-समय पर अवलोकन और दिशा निर्देशन देते हैं। कमजोर बालिकाओं के लिए अतिरिक्त कक्षा भी ग्रामवासियों ने इसके लिए एक निशुल्क भवन प्रदान किया है। सफाई और भवन के रखाव आदि व्यवस्थाओं मंे ग्रामवासी पूरे उत्साह से सहयोग करते हैं।
    शब्दम् पाठशाला का यह छोटा सा प्रयास, घोर तिमिर में एक दीप जलाने जैसा है। हमारे गांवों से अशिक्षा के अंधकार को हटाने के लिए सरकारी और गैरसरकारी निगमों और संगठनों को आगे आना चाहिए। सभी को मिल कर इस स्थिति के विरूद्ध कमर कस कर कार्य करना होगा, तभी सच्चे मायने में समाज और देश की सेवा को चरितार्थ किया जा सकेगा।


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