मंगलवार, 17 जुलाई 2012

"केसरिया बालम पधारो म्हारे देश"

दिनांक 24 अप्रैल 2012, मंगलवार

हिन्द परिसर स्थित संस्कृति भवन


साहित्य, संगीत और कला को समर्पित संस्था शब्दम और भारतीय लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने में कार्यरत संस्था स्पिक मैके के सहयोग से हिन्द परिसर स्थित संस्कृति भवन में राजस्थानी लोकनृत्य एवं गायन का आयोजन किया गया।

राजस्थान के जैसलमेर की मंगलियार जाति (जो राजपूत राजाओं के लिए गाने बजाने का कार्य करती थी) से सम्बन्ध रखने वाले खेटा खान व उनके साथियों ने राजस्थानी लोक संगीत को न केवल राजस्थान की सीमा के आगे अपितु देश के बाहर न्यूजीलैंड, यू.के., कनाडा तक पहुंचा दिया है। लोक गीतों को मात्र ग्रामगीत कहकर उनकी व्यापकता को कम नहीं किया जा सकता।

श्री खेटा खान ने अपनी कला व शास्त्रीय गायन के बीच के अन्तर को स्पष्ट करते हुये बताया कि शास्त्रीय गायन के लोग सुर व राग को गिन कर गाते हैं जबकि हम केवल गाने को दिमाग में रखते हैं और गाते व वाद्य यन्त्र बजाते हैं।

अपनी कला का प्रदर्शन खेटा खान ने गणेश वन्दना ‘‘महाराज गजानन आओ री मौरी सभा में रंग बरसाओ री.....................’’ के साथ किया।

राजपूतों में केसरिया रंग की महत्ता को बताते हुये ‘‘केसरिया बालम पधारो म्हारो देश.................’’ की धुन छेड़ी तो दर्शक ताली बजाने से अपने को रोक न सके।

खेटा खान ने जब कामयचा वाद्ययन्त्र की धुन को तबले की धुन के साथ मिलाया गया तो सुनने वाले झूम उठे और तालियों की लय से साथ मिलाने लगे।

एक के बाद एक लोक गीत ‘‘झूमा रे, झूमा रे, ढोलन मजारो मारो लूमा रे लूमा रे झूमा रे झूमा रे.................’’

निबुड़ा-निबुड़ा............................

दमादम मस्त कलन्दर ......................

आदि गानों को सुनकर लोग झूमते रहे।

वाद्ययंत्रों की थाप एवं उनसे निकलती धुन पर राजस्थान की प्रसिद्ध कालबेलिया लोकनृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया । नृत्यांगना ने अपनी आंखों के माध्यम से जमीन से अंगूठी उठाने की अदभुत कला का हैरतअंगेज नजारा पेश किया। जिसे देश दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे।

सूफीयाना कलाम छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलायके..........ने सभी दर्शकों के दिल पर अमिट छाप छोड़ दी। खेटाखान एवं उनके समूह के साथियों चनन खान, बरकत खान, कचरा खान, शेर खान, कुकला खान, शेर नाथ एवं लीला ने नृत्य एवं गायन की अदभुत एवं मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ सलाहकार मण्डल के सदस्यों एवं खेटा खान द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।

कलाकारों का धन्यवाद देते हुये शब्दम् सलाहकार मण्डल की सदस्य एवं ज्ञानदीप सी.सेके. पब्लिक स्कूल की निदेशिका डा. रजनी यादव ने कहा कि धरती के उन महान सपूतों को जो अपनी कला और संस्कृति को आज भी कायम रखे हये है शब्दम् शतशत नमन करता है। उन्होंने स्पिक मैके की राज्य समन्वयक डा. राजश्री को धन्यवाद दिया कि जिनके माध्यम से शिकोहाबाद को ऐसे महान कलाकारों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। डा. रजनी ने शब्दम् अध्यक्षा श्रीमती बजाज को धन्यवाद देते हुये कहा कि उनके प्रयासों से हिन्दी संस्कृति और कला को बल मिला है।

कार्यक्रम में शब्दम् सलाहकार मण्डल के सदस्य श्री उमाशंकर शर्मा, श्री मंजर उल वासै, डा. ओ.पी. सिंह, डा. ध्रुवेन्द्र भदौरिया साथ ही शहर के गणमान्य डा. आर.के. सिंह, डा दीपाली अग्रवाल, डा. एस.के .एस. चौहान सहित हिन्द परिवार के लोग उपस्थित रहे ।

ज्ञानदीप स्कूल, ब्राइट स्कालर्स स्कूल, लार्ड कृष्णा स्कूल के कला संगीत में रुचि लेने वाले बच्चों ने भी कार्यक्रम का आनन्द उठाया। कार्यक्रम का संचालन श्री मुकेश मणिकान्चन ने किया।

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