8 मई 2012, हिंद परिसर
शब्दम् और स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में हिंद परिसर स्थित संस्कृति भवन में सितार व तबला वादन कार्यक्रम ‘जब दीप जले.. आना....’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्व प्रसिद्ध सितार वादक प. रविशंकर के शिष्य पं. शुभेन्द्र राव ने सितार पर अपनी प्रस्तुति दी। श्री शैलेन्द्र मिश्र ने उनके साथ तबले पर संगत की। सितार और तबले से निकले मधुर राग ने उपस्थित श्रोताओं को इस प्रकार मंत्रमुग्ध कर दिया कि वो पूरी तरह से भारतीय शास्त्रीय संगीत के रस में डूब गए।कार्यक्रम प्रस्तुत करते पं. शुभेन्द्र राव व श्री शैलेन्द्र मिश्र |
राग पूरिया-कल्याण :
दो रागों पूरिया और कल्याण को मिलाकर पूरिया-कल्याण राग बना है। पूरिया-कल्याण राग वह राग है जिसे सूर्यास्त के बाद बजाया जाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि एक ही समय में दो अलग-अलग रागों को साथ में बजाते हुए दोनों की लय बरकरार रखना। शास्त्रीय संगीत में एक विषेष तथ्य है कि कुछ राग ऐसे हैं जिनको बजाने का समय निर्धारित है।
कलाकारों का संक्षिप्त परिचय :
पं. शुभेन्द्र राव का जन्म सन् 1964 में मैसूर में हुआ। उनके पिता श्री एन. आर. रामा राव प.रविशंकर के शिष्य रहे और उनकी माता जी भी सरस्वती वीणा वादन करती हैं। श्री राव ने संगीत की तालीम प. रविशंकर के संरक्षण में पाई। पं. राव ने 1984 में दिल्ली में अपना पहला कार्यक्रम और 1987 में बंगलुरू में अपने पहले सोलो कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। पं. राव भारत ही नहीं वरन् विश्व के कई देशों जैसे कन्सर्ट हाल ब्राडवे, कारनेगी हाल न्यूयार्क, वोमैड उत्सव गुर्नसे (यूके), नेशनल आर्ट्स उत्सव दक्षिण अफ्रीका, थियेटर डी ली विले पेरिस में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। पं. राव को 2007 में जी टीवी द्वारा यूथ आइकान फॉर क्लासिकल म्यूजिक के पारितोषिक से सम्मानित भी किया जा चुका है।
तबले पर संगत कर रहे श्री शैलेन्द्र मिश्र बनारस और फर्रूखाबाद घरानों से ताल्लुक रखते हैं। इन्हें ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के ‘ए’ ग्रेड कलाकार का दर्जा प्राप्त है। श्री मिश्र भी भारत और अन्य देशों में अपने कई कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे चुके हैं।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें